महाकुंभ 2025: क्या है अखाड़ों का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत और 4 से कैसे हुए 13
2025-01-17 IDOPRESS
नई दिल्ली :
महाकुंभ (Mahakumbh 2025) बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक और भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है. हालांकि महाकुंभ की एक और पहचान भी है और वो पहचान है अखाड़े. ये वो अखाड़ा नहीं,जहां कुश्ती या पहलवानी हो. ये वो अखाड़े हैं जहां शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती है,जहां शाही सवारी,रथ,हाथी-घोड़े की सजावट,घंटा-बाजे और करतब का प्रदर्शन होता है. आज बात करेंगे इसी हिंदू धर्म के मठ कहे जाने वाले अखाड़े के इतिहास पर और जानेंगे कि आखिर इस अखाड़े की शुरूआत कैसे हुई? इसका रहस्य क्या है? क्यों अखाड़ों से लाखों करोड़ों लोगों की श्रद्धा जुड़ी है?
आदि शंकराचार्य ने की स्थापना
इन अखाड़ों का इतिहास भी दिलचस्प है. माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी. कहा जाता है कि जो शास्त्र से नहीं माने,उन्हें शस्त्र से मनाया गया. ऐसा माना जाता है कि अखाड़ों का मकसद हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना था. सदियों पहले जब समाज में धर्म विरोधी शक्तियां सिर उठा रही थीं,तो सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति के जरिए ही इन चुनौतियों का मुकाबला करना काफी नहीं थी. आदि शंकाराचार्य ने जोर दिया कि युवा साधु कसरत करके खुद को ताकतवर बनाएं. हथियार चलाने में कुशलता हासिल करें ताकि विरोधी शक्तियों से लोहा लिया जा सके.आदि शंकराचार्य ने इसके लिए मठ बनाए और इन्हीं मठों को कहा गया अखाड़ा. हालांकि अखाड़ों की स्थापना के बारे में कई तरह की कहानियां और दावे भी हैं,लेकिन कहीं इस बात के ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं मिलते कि आदि शंकराचार्य ने अखाड़ों की शुरुआत की.
शुरू में केवल चार प्रमुख अखाड़े थे,लेकिन बाद में वैचारिक मतभेद हुए. बंटवारा होता गया और वर्तमान में 13 प्रमुख अखाड़े हैं. इनमें सात अखाड़े संन्यासी संप्रदाय यानी शैव परंपरा या शिव के आराधक हैं और यह सात अखाड़े हैं.
संन्यासी संप्रदाय के अखाड़े
जूना अखाड़ाआवाहन अखाड़ाअग्नि अखाड़ानिरंजनी अखाड़ामहानिर्वाणी अखाड़ाआनंद अखाड़ा पंचायतीअटल अखाड़ावैष्णव संप्रदाय के लोग विष्णु को ईश्वर मानते हैं. वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं.वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े
निर्मोही अखाड़ादिगंबर अखाड़ानिर्वाणी अणि अखाड़ातीन अखाड़े ऐसे हैं जो गुरु नानक देव की आराधना करते हैं.उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े
बड़ा उदासीन अखाड़ानया उदासीन अखाड़ानिर्मल अखाड़ाकिन्नर अखाड़ा को मान्यतानहीं
साल 2015-16 में एक नया अखाड़ा अस्तित्व में आया,जिसका नाम रखा गया किन्नर अखाड़ा. हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस अखाड़े को मान्यता नहीं दी है,तब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हुआ करते थे. उन्होंने कहा था कि कोई किन्नर अखाड़े की मान्यता नहीं है. 13 अखाड़े हैं और 13 ही रहेंगे. जवाब में किन्नर अखाड़े का गठन करने वाली लक्ष्मी त्रिपाठी ने कहा था कि उज्जैन शिव की नगरी है और शिव की नगरी में अखाड़े के लिए किसी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है.किन्नर अखाड़े की स्थापना 2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी. इसी साल इस अखाड़े ने उज्जैन के कुंभ में अपना अलग कैंप लगाया था. वैसे तो किन्नरों का वजूद उतना ही पुराना है जितना मानव सभ्यता का इतिहास,लेकिन बात जब इस अखाड़े की हो तो गठन से लेकर अब तक 9 साल हो चुके हैं,लेकिन इसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है.