प्राइवेट Vs सरकारी: सैलरी किसकी भारी, जानें क्या कहती है ये रिपोर्ट
2025-01-17 IDOPRESS
सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों में से किसकी सैलरी ज्यादा है. (AI फोटो)
नई दिल्ली:
आठवें वेतन आयोग के गठन (Eighth Pay Commission) की खबर सरकारी कर्मचारियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. अगर भत्ते पहले की तरह ही मलते रहे तो तो सरकारी नौकरी वालों की तो मौज है. सवाल ये भी है कि क्या इसका असर प्राइवेट नौकरी की इनकम पर भी पड़ेगा. क्या निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी आठवां वेतन आयोग कोई गुड न्यूज लेकर आएगा? प्राइवेट या सरकारी सेक्टर में से किसी सैलरी ज्यादा होती है. क्या तनख्वाह के मामले में प्राइवेट वाले सरकारी वालों से पहले से फायदे में हैं,या नहीं,यहां जानते हैं.
कौन ज्यादा सैलरी उठा रहा?
दरअसल सातवां वेतन आयोग लगने से पहले IIM अहमदाबाद ने सरकारी कर्मचारियों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी की तुलना की थी. जिससे ये पता चला कि कमाई के मामले में कौन ऊपर है.निचले पायदान पर बैठे सरकारी कर्मचारी की सैलरी प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा है. अगर ड्राइवर की ही बात करें तो इसमें दोगुने तक का फर्क देखा गया था. 2015 में की गई इस स्टडी के मुताबिक उस समय सरकारी ड्राइवर का औसत वेतन करीब 18 हजार रुपये था,जो तब मार्केट के हिसाब से करीब दोगुना था. लेकिन सरकारी अधिकारियों की सैलरी की बात करें,तो इसमें कॉर्पोरेट के मैनेजर आगे दिखे.
प्राइवेट या सरकारी,किन कर्मचारियों की मौज
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश से पहले की इस स्टडी में सरकारी अधिकारी की सैलरी 58100 से शुरू होती थी.जॉइंट सेक्रटरी की सैलरी 1.82 लाख,सेक्रटरी की 2.25 लाख और कैबिनेट सेक्रटरी की सैलरी 2.5 लाख थी. लेकिन इसमें बड़ी बात यह है कि अगर भत्तों और बंगलों को मिला दें तो यह कई गुना बैठ जाएगी. मसलन कैबिनेट सेक्रटरी का लुटियंस जोन के बंगले का किराया जाहिर तौर पर उनकी सैलरी से ज्यादा है. ऐसे में भत्तों और सैलरी का जोड़ करें,तो सरकारी कर्मचारी ज्यादा मौज में रहते हैं.AI फोटो.