बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को कौन रोकेगा? दो अमेरिकी सांसदों की बाइडेन प्रशासन से सीधे हस्तक्षेप की मांग
वाशिंगटन:
भारतीय मूल के दो प्रमुख अमेरिकी सांसदों ने बांग्लादेश (Bangladesh) में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ 'समन्वित हमले' को रोकने के लिए अमेरिका के सीधे हस्तक्षेप की मांग की है. साथ ही उन्होंने इस बात को रेखांकित किया है कि क्षेत्र में 'धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा से प्रेरित' अस्थिरता अमेरिका या उसके सहयोगियों के हित में नहीं है. दो हिंदू संगठनों - बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद - के अनुसार,पांच अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा है. हिंसा से बचने के लिए हजारों बांग्लादेशी हिंदू पड़ोसी देश भारत भागने की कोशिश कर रहे हैं.
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे नौ अगस्त की तिथि वाले पत्र में अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जारी अत्याचारों के खिलाफ उनका यह रुख,केवल उनका ही रुख नहीं है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई लोगों ने,बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ जारी हिंसा की निंदा की है,जिनमें उनके अपने जिले के कुछ लोग भी शामिल हैं.हिंसा रोकने में सरकार की मदद करे अमेरिका : थानेदार
मिशिगन के सांसद श्री थानेदार ने ब्लिंकन को लिखा,'मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के साथ,अमेरिका का यह दायित्व है कि वह हिंसा और अशांति समाप्त करने में इस नयी सरकार की सहायता करे.
उन्होंने कहा,‘‘मैं बाइडन प्रशासन से आग्रह करता हूं कि सताये गए बांग्लादेशी हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को शरणार्थी के रूप में अस्थायी संरक्षित दर्जा दिया जाए.'
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित यूनुस (84) ने बृहस्पतिवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली.
बांग्लादेश में कई हिंदू मंदिरों और घरों में तोड़फोड़
ढाका में स्थित हिंदू समुदाय के नेताओं के अनुसार,शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के बाद बांग्लादेश में हुई हिंसा में कई हिंदू मंदिरों,घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ की गई,महिलाओं पर हमला किया गया और हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई.
श्री थानेदार ने ब्लिंकन से यूनुस और उनकी सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि 'बांग्लादेश के हिंदुओं के खिलाफ समन्वित हमलों को रोका जा सके.''उन्होंने कहा कि यूनुस ने हिंसा को समाप्त करने का आह्वान किया है और देश के पुनर्निर्माण के लिए उनकी इच्छा का स्वागत किया.
बांग्लादेश के लिए यह महत्वपूर्ण समय : कृष्णमूर्ति
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद ने कहा,'यह बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण समय है और हमें देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयों और बयानबाजी को समाप्त करने के उनके प्रयासों में उनका समर्थन करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.'
आठ अगस्त को ब्लिंकन को लिखे एक पत्र में सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि विभिन्न मीडिया खबरों में हिंदू विरोधी हमलों की विश्वसनीय प्रत्यक्षदर्शी रिपोर्ट हमलों के पैमाने को प्रदर्शित करती है. कृष्णमूर्ति का उक्त पत्र शुक्रवार को मीडिया को जारी किया गया.
बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा पहली बार नहीं : कृष्णमूर्ति
कृष्णमूर्ति ने पत्र में लिखा,'मैं आपको यह पत्र बांग्लादेश में अस्थिर स्थिति और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदू विरोधी समन्वित हिंसा के बढ़ने को लेकर लिख रहा हूं. अब जब मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ले ली है,तो यह अत्यंत आवश्यक है कि अमेरिका हिंसा को समाप्त करने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए उनकी सरकार के साथ मिलकर काम करे.'
उन्होंने कहा,'दुख की बात है कि यह पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंदू विरोधी हिंसा का रूप ले लिया है. अक्टूबर 2021 में हिंदू विरोधी दंगों में सैकड़ों घरों,व्यवसायों और मंदिरों को नष्ट करने के बीच नौ लोग मारे गए थे... 2017 में,107 से अधिक हिंदू मारे गए थे और 37 'गायब' हो गए....''कृष्णमूर्ति ने कहा कि क्षेत्र में 'धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा से प्रेरित अस्थिरता,स्पष्ट तौर पर अमेरिका या हमारे सहयोगियों के हित में नहीं है.''
उन्होंने ब्लिंकन से अंतरिम सरकार के साथ 'सीधे' जुड़ने और हिंसा समाप्त करने और 'जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने' में उसकी मदद करने के लिए अमेरिकी प्रभाव डालने का आग्रह किया.
बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा कोई नई बात नहीं : थानेदार
थानेदार ने अपने पत्र में कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा कोई नयी बात नहीं है और 1971 में देश बनने के बाद से वहां कई तख्तापलट और नेतृत्व परिवर्तन हुए हैं.
उन्होंने कहा कि हिंदू आबादी को निशाना बनाना भी कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी केवल आठ प्रतिशत है,जिससे इस अल्पसंख्यक समुदाय के लिए भेदभाव और हिंसा का खतरा बना रहता है.
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