
ईरान के क्षेत्र में पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या
बलूच अलगाववादियों ने ईरान के अंदर आठ पाकिस्तानियों की हत्या कर दी. ईरान के जिस भाग में यह हमला किया गया है वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की सीमा से लगता है और लगभग 230 किमी दूर है. पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को "आठ पाकिस्तानियों की क्रूर हत्याओं" की निंदा की,तेहरान से "दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने,उन्हें उचित सजा देने और इस क्रूर कृत्य के पीछे के कारणों को सार्वजनिक करने" का आह्वान किया. इन हत्याओं की जिम्मेदारी दो समूहों ने ली है- बलूच नेशनलिस्ट आर्मी (बीएनए) जो आजाद बलूचिस्तान की मांग करने वाली अलगाववादी समूह है. दूसरा समहू जैश अल-अदल (अरबी फॉर आर्मी ऑफ जस्टिस) है जो पाकिस्तान में स्थित एक बलूच जिहादी समूह है लेकिन ईरान में भी सक्रिय है.
कैसे हुई हत्या?
न्यूज एजेंसी- एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के अनुसार मारे गए आठ लोग पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब से थे. मीडिया रिपोर्टों की माने तो,अज्ञात हथियारबंद लोग शनिवार रात किसी समय एक वर्कशॉप में घुस आए और वहां काम कर रहे पाकिस्तानी वर्कर्स के हाथ-पैर बांधने के बाद अंधाधुंध गोलीबारी की और उनकी हत्या कर दी. बाद में हमलावर घटनास्थल से भाग गये.
पाकिस्तानी मजदूर आमतौर पर ईरान के सीमावर्ती क्षेत्र में कार रिपेयरिंग और खेती का काम करते हैं. हालांकि हाल में हुई टारगेटेड किलिंग ईरान के इस इलाके में पाकिस्तानी वर्कर्स के लिए बढ़ती असुरक्षा का संकेत देती हैं.
पाकिस्तान ने क्या मांग की है?
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी वर्कर्स की "क्रूर हत्या" पर गहरा दुख व्यक्त किया. प्रधानमंत्री के हवाले से कहा गया,"आतंकवाद का खतरा सभी क्षेत्रीय देशों के लिए विनाशकारी है." उन्होंने ईरानी सरकार से अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने,उन्हें उचित सजा देने और इस क्रूर कृत्य के कारणों को सामने लाने का आग्रह किया. पीएम शहबाज ने विदेश मंत्रालय को मृत पाकिस्तानियों के परिवारों और उनके शवों की सुरक्षित वापसी के लिए ईरान में पाकिस्तान के दूतावास से संपर्क करने का भी निर्देश दिया.
इस बीच,आठ "मोटर मैकेनिकों और मजदूरों" के परिजनों ने पाकिस्तानी सरकार से अपील की है कि वे अपने प्रियजनों के शवों की जल्द से जल्द स्वदेश वापसी सुनिश्चित करें.
8 पाकिस्तानियों की हत्या पर ईरान ने क्या कहा?पाकिस्तान में ईरान के राजदूत रेजा अमीरी मोघदाम ने एक बयान में आठ पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ हत्या की कड़ी निंदा की. बयान में कहा गया है,"आतंकवाद एक पुरानी दुर्दशा है और पूरे क्षेत्र में एक आम खतरा है,जिसके द्वारा देशद्रोही तत्व,अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के साथ मिलकर,पूरे क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को निशाना बनाते हैं."मोघदाम ने जोर देकर कहा,"इस अशुभ घटना से निपटने के लिए सभी देशों द्वारा आतंकवाद और उग्रवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए सामूहिक और संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है,जिन्होंने हाल के दशकों में हजारों निर्दोष लोगों की जान ले ली है."
हिंसा से जूझता बलूचिस्तान
गरीब बलूचिस्तान दशकों से उग्रवाद से जूझ रहा है,यहां के अलगाववादी समूहों का दावा है कि पाकिस्तान के दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा इसका शोषण किया जा रहा है,इसके प्राकृतिक संसाधनों से धन स्थानीय आबादी को बहुत कम लाभ मिल रहा है.इसी महीने ईरान द्वारा बलूचिस्तान के सीमावर्ती शहर पंजगुर पर हमले के बाद पाकिस्तान ने सिस्तान-बलूचिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी हमले किए थे. सिस्तान-बलूचिस्तान की सीमा से लगे बलूचिस्तान में पंजाब के लोगों को निशाना बनाकर कई हमले देखे गए हैं.मार्च के अंत में,बलूचिस्तान के ग्वादर जिले के कलमत इलाके में गोलीबारी की घटना में पांच यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई,अधिकारियों ने कहा कि उनमें से कम से कम चार पंजाब के थे. उससे कुछ दिन पहले कलात जिले में अज्ञात हमलावरों ने पंजाब के चार मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.फरवरी में,पंजाब जाने वाले सात यात्रियों को एक बस से उतार दिया गया और प्रांत के बरखान जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई. पिछले साल अगस्त में,जब प्रांत पर प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के हमलों की बाढ़ आ गई थी,तो मुसाखाइल जिले में 23 यात्रियों को ट्रकों और बसों से उतार दिया गया और गोली मार दी गई.पिछले साल जनवरी में,पाकिस्तान के साथ सीमा के पास ईरान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में गोलीबारी की घटना में कम से कम नौ पाकिस्तानी मारे गए थे और तीन घायल हो गए थे. यह हिंसक घटना इस्लामाबाद और तेहरान के बीच थोड़े तनाव के बाद आधिकारिक तौर पर राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने के एक दिन बाद हुई थी.
ईरान से बलूच आंदोलन का क्या संबंध?
909 किलोमीटर की लंबी ईरान-पाकिस्तान सीमा को गोल्डस्मिथ लाइन के नाम से जाना जाता है. यह अफगानिस्तान से उत्तरी अरब सागर तक फैली हुई है. लगभग 90 लाख जातीय बलूच सीमा के दोनों ओर रहते हैं- पाकिस्तानी प्रांत बलूचिस्तान और ईरानी प्रांत सिस्तान और बलूचिस्तान में. अन्य 5 लाख उत्तर में अफगानिस्तान के पड़ोसी क्षेत्रों में रहते हैं.हथियारबंद विद्रोह भी पाकिस्तान और ईरान के बीच लंबे समय से तनाव की एक बड़ी वजह रही है. दोनों ने एक-दूसरे पर अलगाववादी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. पिछले दशक में सीमा पार हमलों में कई सैनिक,पुलिस अधिकारी और नागरिक मारे गए हैं. ईरान ने,विशेष रूप से,पाकिस्तान पर सुन्नी अलगाववादी समूह जैश अल-अदल के आतंकवादियों को बलूचिस्तान से स्वतंत्र रूप से काम करने और ईरानी अधिकारियों पर हमले करने की अनुमति देने का आरोप लगाया है. ईरान और पाकिस्तान पहले भी बलूच विद्रोह से निपटने के लिए सहयोग कर चुके हैं. लेकिन साथ ही दोनों देश एक-दूसरे पर आतंकवादियों को पनाह देने और समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं.
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