वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत: RBI रिपोर्ट

2025-03-20 IDOPRESS

Indian Economy: वित्त वर्ष 2023-24 की संशोधित वास्तविक GDP वृद्धि दर 9.2% दर्ज की गई है

नई दिल्ली:

भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अस्थिरता के बावजूद लगातार मजबूती बनाए हुए है. इसका कारण कृषि क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन और उपभोग में वृद्धि है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा मासिक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है.बुलेटिन के अनुसार,बढ़ते व्यापार तनाव और टैरिफ संबंधी चुनौतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती की परीक्षा ले रही हैं. वैश्विक वित्तीय बाजारों में बढ़ती अस्थिरता से दुनिया की आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है. हालांकि,इन चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.

खुदरा महंगाई में गिरावट से राहत

खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के चलते फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.6% पर आ गई,जो सात महीनों में सबसे निचला स्तर है. इससे घरेलू बाजार को मजबूती मिली है. हालांकि,बाहरी अस्थिरता के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का प्रवाह नकारात्मक बना हुआ है.

खपत और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी

निजी उपभोग व्यय में इजाफा हो रहा है,जो मजबूत उपभोक्ता विश्वास और निरंतर मांग को दर्शाता है. साथ ही,हाल के महीनों में सरकारी खर्च भी बढ़ा है,जिससे आर्थिक विकास को और गति मिली है.

विकास दर बनी हुई है तेज

रिपोर्ट के अनुसार,वित्त वर्ष 2023-24 की संशोधित वास्तविक GDP वृद्धि दर 9.2% दर्ज की गई है. यह बीते एक दशक में (कोरोना महामारी के बाद के वर्ष को छोड़कर) सबसे तेज विकास दर है.

विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में मजबूती

फरवरी 2025 में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में खरीदारी गतिविधि और रोजगार में वृद्धि देखी गई. इसके अलावा,सेवा क्षेत्र में भी नए व्यवसायों और नौकरियों का विस्तार हुआ है.

कृषि क्षेत्र में सुधार के संकेत

बुलेटिन में बताया गया कि खरीफ सीजन 2024-25 में खाद्यान्न और तिलहन के उत्पादन अनुमानों में बढ़ोतरी हुई है. वहीं,रबी फसलों के उत्पादन में 2.8% की वृद्धि दर्ज की गई,जो मुख्य रूप से बेहतर जलाशय स्तर और सामान्य से अधिक बारिश के कारण हुआ है.

कुल मिलाकर,भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है. खुदरा महंगाई में गिरावट,सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और कृषि उत्पादन में सुधार से यह रफ्तार बनी रहने की उम्मीद है. हालांकि,वैश्विक वित्तीय अस्थिरता और विदेशी निवेश की स्थिति आगे की चुनौतियां हो सकती हैं.

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