दिल्ली फिर होगी जाम? मर-मिटने वाले 'मरजीवड़ा जत्थे' संग आ रहे किसानों का क्या है प्लान, जानिए
2024-12-06 HaiPress
कई मांगों को लेकर किसानों का दिल्ली कूच
नई दिल्ली:
101 किसानों का एक 'जत्था' अपनी मांगों को लेकर शंभू बॉडर विरोध प्रदर्शन स्थल से दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू कर चुका है. किसान आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं. हालांकि,अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है,जिसमें जिले में 5 या अधिक लोगों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर रोक है. जारी आदेश के मुताबिक अगले आदेश तक पैदल,वाहन या अन्य साधनों से कोई भी जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गयी है. किसानों की दिल्ली मार्च करने की योजना को लेकर अंबाला में पुलिस ने भी अलर्ट जारी किया और वहां सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सीमा पर भेजा.
दिल्ली आ रहा किसानों का 'मरजीवड़ा जत्था' क्या है
101 किसानों के दल जो दिल्ली कूच करने की तैयारी में वो मरजीवड़ा जत्था है. जो शख्स किसी मकसद के लिए खुद को कुर्बान कर देता है. हालांकि ये किसी भी हिंसा का सहारा नहीं लेता है,उसे मरजीवड़ा कहा जाता है. बताया जाता है कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने मरजीवड़ा जत्था (दल) बनाया था और इसमें भाई मतीदास,सतीदास और भाई दयाला को भी शामिल किया था. 101 किसानों का यह जत्था निहत्थे और पैदल ही दिल्ली पहुंचेगा. इस जत्थे में शामिल किसानों से सहमति फॉर्म भी भरवाया गया है.आंदोलन के पीछे कौन
इस बार किसानों का जो आंदोलन हो रहा है,उसके पीछे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा है.किसान 26 अक्टूबर को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और समय पर धान खरीद सहित अपनी कई मांगों पर दबाव डालने के लिए संगरूर जिले के बदरुखा में बड़ी संख्या में जुटे हुए थे. इन विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप पंजाब के फगवाड़ा,संगरूर,मोगा और बटाला क्षेत्रों में नेशनल हाईवे अवरुद्ध हो गए थे.किसानों का क्या प्लान
किसान शुक्रवार दोपहर 1 बजे दिल्ली के लिए कूच करेंगे. 101 किसानों का जत्था पैदल दिल्ली की ओर चलेगा.किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बृहस्पतिवार को कहा कि 101 किसानों का एक 'जत्था' शंभू बॉडर विरोध प्रदर्शन स्थल से शुक्रवार एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेगा. साथ ही किसानों ने कहा है कि अगर उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जाएगा तो वो बात करेंगे.किसानों के जेब में गीले रुमाल
101 किसानों के जत्थे की अगुआई सुरजीत सिंह फूल करेंगे. बलवंत सिंह बहरामके और अन्य किसान नेता भी जत्थे में शामिल रहेंगे. आंसू गैस से बचने के लिए किसान जेब में गीला रुमाल रखेंगे. किसानों को लग रहा है कि जब वो कूच करेंगे तो उन्हें रोकने के लिए हर कोशिश की जाएगी. हो सकता है इस दौरान आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया जाए. आंसू गैस से बचने के लिए किसानों ने जेब में गीले रुमाल रखे हैं,ताकि हर हाल में उनका कारवां आगे बढ़ता रहे.कूच के लिए 6 दिसंबर क्यों
शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का एक 'जत्था' शंभू बॉडर विरोध प्रदर्शन स्थल से आज अपराह्न एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेगा. पंधेर ने कहा,"मोर्चे को चलते 297 दिन हो गए है और खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन 11वें दिन में प्रवेश कर गया है. आज दोपहर 1 बजे 101 किसान-मजदूर का जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेगा."गुरु तेग बहादुर ने 6 दिसंबर 1675 को अपना बलिदान दिया था.किसानों के खास जत्थे ने इसलिए दिल्ली कूच के लिए शहीद दिवस का दिन चुना है.101 किसानों के जत्थे की अगुआई सुरजीत सिंह फूल करेंगे.आंदोलन के पीछे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) है.
शंभू बॉर्डर पर क्या सीन
शंभु बॉर्डर पर किसान करीब 300 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली ही नहीं बल्कि पैदल ही आ रहे हैं. हरियाणा में किसानों को रोकने के लिए धारा 163 लागू है. शंभू बॉर्डर और दिल्ली-जालंधर नैशनल हाईवे पर भारी पुलिस बंदोबस्त किए गए हैं. दातासिंहवाला और खनौरी बॉर्डर पर धारा 163 लगी है. 8 DSP समेत अर्धसैनिक बलों की 14 कंपनियां तैनात है. खनौरी बॉर्डर से कोई जत्था अलग से नहीं जाएगा .हरियाणा में रोके जाएंगे किसान
किसानों को हरियाणा में घुसने की इजाजत नहीं दी गई है. खनौरी और शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की 24 घंटे निगरानी की जा रही है. पंजाब से आने वाले वाहनों की राज्य की सीमा पर कड़ी जांच हो रही है. अंबाला पुलिस ने शंभू बॉर्डर के पास फिर पक्की बैरिकेडिंग की है. 9 दिसंबर को पानीपत में PM के कार्यक्रम को लेकर भी सुरक्षा कड़ी की गई है.किसानों की मांग है क्या
किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं.किसानों-मजदूरों की कर्जमाफी की मांग पर अड़े हैं.पिछले आंदोलन के दौरान की गई किसानों की 12 मांगें पूरी की जाए.किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू होंकिसान सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. आंदोलन से जुड़े किसानों का कहना है कि अगर केंद्र या राज्य सरकार की तरथफ से उन्हें बातचीत का न्योता मिलेगा तो वो बात करेंगे.